फलों में रंग लाना और शीघ्र फल पकाना

सेब तुड़ान से 20 दिन पहले 200 लीटर पानी में सौ ग्राम चिलेटिड कैल्शियम प्लस, 500 amifol K की दो स्प्रे करने से सेब का कलर अच्छा आता है और क्वालिटी भी बेहतर होती है। सेब में रंग न आने की समस्या पर तुड़ान से तीस दिन पहले 300 ग्राम पोटाशियम नाइट्रेट हर पौधे के तौलिए में डाल सकते हैं। इससे रंग भी आता है और साइज भी बेहतर होता है। ऐसा पाया गया है कि कम उंचाई वाले इलाकों में तापमान गर्म होनेसे फल पकने पर भी उनका रंग बेहतर नहीं आता। ऊंचाई वाले इलाकों में फलों पर अच्छा रंग आता है। ऊंचे इलाकों में फल जल्दी पकाने और मध्यम ऊंचाई वाले इलाकों में फलों पर रंग लाने के लिए 200 लीटर पानी में 500-600 मिलीलीटर इथरल घोल कर उसका छिडक़ाव करें। इस घोल में 45 मिलीटर प्लेनोफिक्स मिलाना भी आवश्यक है। इससे फल झडऩे की परेशानी दूर होती है। कुछ इलाकों में इथरल के प्रयोग से नुकसान हुआ है। इथरल के प्रभावी साबित न होने से बागवानी विभाग भी इसके प्रयोग को हतोत्साहित कर रहा है। जिन क्षेत्रों में फल में कम रंग आने की समस्या पेश आए, वहां बागवानों को तुड़ान से पच्चीस दिन पहले डेढ़ किलो 0:0:50 (पोटाश) और इतनी ही मात्रा में पोटाशियम नाइट्रेट को 200 लीटर पानी में घोलकर स्प्रे करनी चाहिए। यदि बागीचे में रंग कम आने की दिक्कत अधिक हो तो बागवानों को तुड़ान से एक माह पूर्व तौलिओं में 300 से 400 ग्राम पोटाशियम नाइट्रेट डालना चाहिए। इससे फलों में अच्छा रंग आता है।

SHARE THIS

Author:

Previous Post
Next Post