उत्तराखंड में रानीखेत के पास एक स्थान है चौबटिया। चौबटिया यानी चार रास्तों का मिलन। चौ माने चार और बटिया माने बाट यानी रास्ता। रानीखेत, भरगांव, पिलखोली व धेरती इलाके इस स्थान से आपस में जुड़ते हैं। इस इलाके में बरसों से सेब उत्पादन हो रहा है। यह पेस्ट इसी इलाके में पहले-पहल प्रयोग हुआ था। इसी कारण इसका नाम चौबटिया पेस्ट प्रचलित हो गया। यह कैंकर आदि रोगों से बचाव में प्रयोग किया जाता है। यही पेस्ट चौबटिया पेस्ट के नाम से जाना जाता है। अब सवाल यह कि चौबटिया पेस्ट ही क्यों प्रयोग किया जाए? इस पेस्ट की विशेषता यह है कि इसके उपचार से पौधे का घाव जल्दी भर जाता है। यह कैंकर का सबसे कारगर उपाय है। चौबटिया पेस्ट तैयार करने के लिए कॉपर कार्बोनेट 800 ग्राम, रेड लैड आक्साइड 800 ग्राम,अलसी का तेल एक लीटर लें। इसे अच्छी तरह से हिलाकर पेस्ट तैयार करें। प्रूनिंग कांट-छांट के बाद उपचार जरूरी
कटे हुए भागों में पेस्ट लगाना अति आवश्यक है। जख्म में पेस्ट न लगाने से पौधा कैंकर रोग की चपेट में आ जाते हैं। सेब के पौधे में चौबटिया पेस्ट लगाने की सिक्तारिश की जाती है। इस पेस्ट को घर पर भी तैयार कर सकतें हैं । बागवान बाजार से कॉपर कारबोनेट, रेड लैड आक्साइड और अलसी का तेल मिला कर पेस्ट तैयार कर सकते है। पेस्ट को जख्म पर लगाने से यह जल्दी भर जाता है। पौधे में जख्म अगर बडा हो तो बागवान गोबर और चिकनी मिटटी का पेस्ट लगाकर उसे कैंकर रोक के लगने से चा सकते हैं काट छांट के तुरंत बाद बागवान पूरे बागीचे में बोर्डो मिक्सचर की स्प्रे करें। बागवान बोर्डो मिक्सचर की स्प्रेे हर साल करें और नीचले क्षेत्रों के सेब बागीचों में यह स्प्रे समय पर की जाए तो बागीचा कैंकर रोग की चपेट में आने से बच सकती है जाता।