हिमाचल प्रदेश में परंपरागत किस्म रॉयल के बागीचे काफी पुराने हो चुके हैं। बागवान री-प्लांटेशन के मोर्चे पर सक्रिय हैं। री-प्लांटेशन के लिए फैदर प्लांट सबसे कारगर हैं। जिस पौधे में छह से सात शाखाएं निकली हों और जिसकी उम्र दो से तीन साल हो, उसे फैदर प्लांट कहते हैं। हिमाचल के कुल्लू में कुछ नर्सरियां फैदर प्लांट तैयार करती हैं। वहां पर वे बिक्री के लिए उपलब्ध हैं। बागवान अपने स्तर पर भी फैदर प्लांट तैयार कर सकते हैं। सर्दियों में पाला पडऩे पर भूमि सुबह के समय सख्त होती है। खुद तैयार किए गए फैदर प्लांट को जड़ों सहित उठाकर बागीचे में तैयार किए गए गड्ढे में रोपा जा सकता है। यह गड्ढा सख्त मिट्टी पर तैयार होना चाहिए। वैज्ञानिकों के अनुसार यदि बागवान अपने स्तर पर फैदर प्लांट तैयार करें तो यह अधिक कामयाब होता है। पूरी दुनिया में यह समय फैदर प्लांट का है। अमेरिका व इटली में फैदर प्लांट का चलन है।
फैदर प्लांट से जीतें री-प्लांटेशन की लड़ाई
हिमाचल प्रदेश में परंपरागत किस्म रॉयल के बागीचे काफी पुराने हो चुके हैं। बागवान री-प्लांटेशन के मोर्चे पर सक्रिय हैं। री-प्लांटेशन के लिए फैदर प्लांट सबसे कारगर हैं। जिस पौधे में छह से सात शाखाएं निकली हों और जिसकी उम्र दो से तीन साल हो, उसे फैदर प्लांट कहते हैं। हिमाचल के कुल्लू में कुछ नर्सरियां फैदर प्लांट तैयार करती हैं। वहां पर वे बिक्री के लिए उपलब्ध हैं। बागवान अपने स्तर पर भी फैदर प्लांट तैयार कर सकते हैं। सर्दियों में पाला पडऩे पर भूमि सुबह के समय सख्त होती है। खुद तैयार किए गए फैदर प्लांट को जड़ों सहित उठाकर बागीचे में तैयार किए गए गड्ढे में रोपा जा सकता है। यह गड्ढा सख्त मिट्टी पर तैयार होना चाहिए। वैज्ञानिकों के अनुसार यदि बागवान अपने स्तर पर फैदर प्लांट तैयार करें तो यह अधिक कामयाब होता है। पूरी दुनिया में यह समय फैदर प्लांट का है। अमेरिका व इटली में फैदर प्लांट का चलन है।