गेल गाला सेल्फ पोलीनाइजर वैरायटी है, लिहाजा यह बागीचों में पोलीनेशन का काम भी करती है। इसके लिए जरूरी यह है कि बागीचे में गेल गाला के पौधों की संख्या अन्य स्पर वैरायटियों की 35 फीसदी होनी चाहिए। स्पर की यदि बागीचे में नई प्लांटेशन की जा रही हो तो दो लाइनों के बाद तीसरी लाइन पूरी तरह से गेल गाला की लगाएं। गेल गाला चट्टानी जगह में भी इसकी ग्रोथ अच्छी है। कुछ-कुछ पथरीली भूमि पर गेल गाला अधिक मिट्टी वाली भूमि से अधिक अच्छा फलता है। बाजार में पिछले तीन साल से चीन के फ्यूजी सेब की धमक के बाद रेड गोल्ड की डिमांड कम हुई है। ऐसे में फ्यूजी को टक्कर देने के लिए गेल गाला ही कारगर है। तभी फ्यूजी किस्म को पीछे धकेला जा सकता है। पुरानी किस्मों को अलविदा कहते हुए विदेशी किस्मों को उगाना ही समझदारी है। इस साल यानी वर्ष 2016 में गाला की सेब की क्वालिटी इतनी बेहतर थी कि अहमदाबाद और जयपुर की मंडियों के कारोबारियों ने उनके बागीचे में ही आकर सेब खरीदा है। दाम सुनकर चौंकने की तबीयत होती है। दाम मिल रहे हैं-130 रुपए प्रति किलो।
Author: Unknown
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