इन कीटों के लिए अप्रैल से अगस्त तक कीटनाशक का प्रयोग न करें। फल उतारने के बाद तने और टहनियों पर लगे वूली एफिड पर सिस्टमैटिक कीटनाशक का प्रयोग करें। फल उतारने के बाद जड़ों में लगे वूली एफिड को नियंत्रित करने के लिए क्लोरोफासरीफॉस नामक कीटनाशक 400 मिलीलीटर 200 लीटर पानी में घोल बनाकर एक तौलिए में 25-30 लीटर घोल डालें। घोल तने के चारों और घेरे में डालें। बरसात के एकदम बाद जब भूमि में पर्याप्त नमी हो तो कीटनाशक का घोल डालना अति उत्तम है। ऐसे में घोल नमी होने से जमीन के भीतर संक्रमित भाग तक आसानी से पहुंच जाता है
हिमाचल में वूली एफिड का प्रकोप काफी है, यहां किस तरह का प्लांट मैटीरियल लगाना चाहिए?
हिमाचल में बीजू मूलवृन्त सबसे ज्यादा वूली एफिड की चपेट में है। वो चाहे छोटा पौधा हो या बड़ा। यदि मलिंग-मार्टिन मूलवृन्त लगाया जाए तो वूली एफिड के प्रकोप से बचा जा सकता है। इस रूट स्ऑक में वूली एफिड के प्रति अवरोधक क्षमता होती है। मलिंग-मार्टिन सीरीज में 106 और 111 अच्छे रूट स्टॉक हैं।