हिमाचल में एक साल में फल देने वाले विदेशी किस्म के फैदर्ड प्लांट बागवानों को कलस्टर बनाने पर ही दिए जाएंगे। वल्र्ड बैंक की ओर से जारी गाइड लाइन में इस बारे में स्पष्ट तौर पर निर्देश जारी किए हैं। ऐसे में बिना कलस्टर बनाए विदेशी किस्म के फैदर्ड प्लांट खरीदने का सपना पाल रहे लोगों के लिए यह राहत भरी खबर नहीं है। बागवानी विभाग नई साल से बागवानों को फैदर्ड प्लांट बांटेगा। सेब के एक प्लांट की कीमत 300 रुपये तय की गई है। वल्र्ड बैंक की गाइड लाइन के मुताबिक कलस्टर बनाने पर प्रति बागवान को कम से कम 50 पौधे दिए जाएंगे। अगर किसी बागवान के पास ज्यादा जमीन है तो ऐसे लोगों को इससे अधिक पौधे भी दिए जा सकते हैं। विदेशी किस्मों के पौधें लगाकर अब किसान एक साल बाद ही सेब सहित चैरी, नाशपाती व पलम की पैदावार ले सकेंगे। नई साल में जनवरी माह से बागवानी विभाग विदेशी किस्मों 7.50 लाख फैदर्ड प्लांट बांटने जा रहा है। इसके लिए इन दिनों वल्र्ड बैंक प्रोजेक्ट के तहत बागवानों के कलस्टर बनाए जा रहे हैं। इस प्रोजेक्ट के तहत बागवानों को बंूद-बूंद सिंचाई, एंटी हेलगन व स्टेकिंग भी सुविधा दी जाएगी।
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पानी का सोर्स होना जरुरी:
प्रदेश के सेब बाहुल क्षेत्रों में कलस्टर बनाने की कोई सीमा तय नहीुं की गई है। बागवान अपनी सुविधा के मुताबिक कलस्टर बना सकते हैं, लेकिन इसके लिए गाइड लाइन में एक शर्त जोड़ी गई है कि जिन क्षेत्रों में कलनस्टर बनाए जाने हैं, वहां पर पानी का सोर्स मौजूद होना चाहिए। इसमें वाटर कैचमेंट का भी प्रावधान किया गया है। जहां लोगों के पास पानी के इस तरह के सोर्स हैं वहां बागवान कलस्टर बना सकते हैं। प्रदेश में सबसे अधिक सेब पैदावार करने वाले शिमला जिला में अब तक 82 कलस्टर बन चुके हैं। 19 नवंबर को ठियोग के तहत पडऩे वाले चियोग में बागवानी विभाग ने कलस्टर को लेकर बागवानों को डेमोस्ट्रेशन भी दी। इस दौरान शिमला और किन्नौर जिला के अधिकारियों को डेमोस्ट्रेशन दिया गया। इस दौरान बागवानी विभाग के प्रधान सचिव जेसी शर्मा, निदेशक डीपी भंगालिया, सिंचाई विशेषज्ञ डॉ. एचआर शर्मा सहित शिमला जिला के सभी एसएमएस, एसओडी व किन्नौर जिला के निचार खंड के बागवानी के अधिकारी मौजूद थे।
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पानी का सोर्स होना जरुरी:
प्रदेश के सेब बाहुल क्षेत्रों में कलस्टर बनाने की कोई सीमा तय नहीुं की गई है। बागवान अपनी सुविधा के मुताबिक कलस्टर बना सकते हैं, लेकिन इसके लिए गाइड लाइन में एक शर्त जोड़ी गई है कि जिन क्षेत्रों में कलनस्टर बनाए जाने हैं, वहां पर पानी का सोर्स मौजूद होना चाहिए। इसमें वाटर कैचमेंट का भी प्रावधान किया गया है। जहां लोगों के पास पानी के इस तरह के सोर्स हैं वहां बागवान कलस्टर बना सकते हैं। प्रदेश में सबसे अधिक सेब पैदावार करने वाले शिमला जिला में अब तक 82 कलस्टर बन चुके हैं। 19 नवंबर को ठियोग के तहत पडऩे वाले चियोग में बागवानी विभाग ने कलस्टर को लेकर बागवानों को डेमोस्ट्रेशन भी दी। इस दौरान शिमला और किन्नौर जिला के अधिकारियों को डेमोस्ट्रेशन दिया गया। इस दौरान बागवानी विभाग के प्रधान सचिव जेसी शर्मा, निदेशक डीपी भंगालिया, सिंचाई विशेषज्ञ डॉ. एचआर शर्मा सहित शिमला जिला के सभी एसएमएस, एसओडी व किन्नौर जिला के निचार खंड के बागवानी के अधिकारी मौजूद थे।
डीपी भंगालिया
वल्र्ड बैंक की गाइड लाइन के मुताबिक कलस्टर बनाने पर ही बागवानों को विदेशी किस्म के फैदर्ड प्लांट दिए जाएंगे। शिमला जिला में अब तक 82 कलस्टर बन चुके हैं। इसके अलावा अन्य जिलों में भी कलस्टर बनाए जा रहे हैं। जहां सिंचाई की व्यवस्था है। बागवान कलस्टर बनाकर सुविधा का लाभ उठा सकते हैं।
डीपी भंगालिया, निदेशक बागवानी विभाग।
डीपी भंगालिया, निदेशक बागवानी विभाग।