सेब के पौधों के लिए जिंक एक अति आवश्यक सुक्ष्म पोषक तत्व है। साल में दो बार सेब के पौधों पर स्प्रे अति आवश्यक है। पहले चरण में पिंक बडड् पर दूसरी सेब तुड़ान के एक महीने बाद करनी चाहिए। सेब में सेब के पेड़ में चालीस प्रतिशत पत्ते हो बागवान। सुप्तावस्था के समय जिंक सल्फेट और पिंक बडड्- के समय चिलैटिड जिंक रूप में की स्प्रे द्वारा कर पूरा कर सकते है। पौधों में जिंक की कमी को किसी अन्य रसायनों द्वारा भी पूरा किया जा सकता है। सेब के पौधों में बडड् ब्रेक से लेकर फ्रूट सेट का समय जिंक जैसे सुक्ष्म तत्व के हिसाब सें महत्वपूर्ण माना जाता है। जिंक की कमी फल देने वाले पौधों में फ्रूट सैटिंग कां प्रभावित कर सकती है। जिंक का प्रयोग सर्दीयों में मिटटी में डाल कर भी किया जा सकता है। लेकिन माना जाता है कि इस सुक्षम तत्व को पौधे में पहुचनें के लिए पौधे में पत्तियां होना जरूरी है। अगर ऐसा नहीं है तो पौधा इस सुक्ष्म तत्व को प्राप्त नहीं कर सकता है। पत्ते आने के बाद अगर स्प्रे की जाए तो वे ज्यादा फायदेमंद है।
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सेब के पौधे में एक्टीवेटर का काम करता है जिंक………..दूसरी स्प्रे सेब तुड़ान के एक महीने बाद करनी चाहिए
Author: Unknown
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