Carmen Pear
नाशपाती क्षेत्रों मे उगाया जाने वाला मुख्य फल है। नाशपाती गर्म आद्र्र उपोष्ण मैदानी क्षेत्रों से लेकर शुष्क शीतोष्ण क्षेत्रों में सफलता से उगाई जा सकती है। इसकी खेती पर प्राय: बागवान ध्यान हीं देते हैं इसी कारण इसकी खेती कुछ सिमित क्षेंत्रों में ही की जा रही है। इसका मुख्य कारण इसकी अच्छी किस्मों का न होना कम भण्डारण क्षमता तथा यातायात की अच्छी सुविधांए न होना था परन्तु अब रंगदार व अच्छी किस्में व यातायात की अच्दी सुविधाएं होने पर बागवान नाशपाती की बागवानी की तरफ ध्यान दे रहे हैं। नाशपाती की तरफ अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है क्योंकि इससे ब्बिा बंद फल संरक्षित पदार्थ भी बनाए जा सकते हैं और इसके रख रखाव की ज्यादा जरूरत नहीं होती है। निचले व कम ऊँचाई वाले क्षेत्रों में गोला नाशपाती उगाई जा रही हे जिसमें अधिक उत्पादन के साथ-साथ बोरीयों में भरकर दूर मण्डीयों मे भी भेजा जा ाकता है। जलवायु:- मध्य पहाड़ी क्षेंत्रों और पहाड़ी क्षेत्रों में समुद्रतल से 600 से 2700 मीटर तक नाशपाती उगाई जा सकती हैं। इसके लिए 500 से 1500 घण्टे शीत तापमान होना आवश्यक है। जिन स्थानों में अधिक वर्ष होती है वे स्थान नाशपात के लिए उपयुक्त नहीं होते। गर्मीयों में 27 से 330 सै. तक तापमान वाले स्थानों पर नाशपाती खूब होती है।निचले क्षेत्रों मेंइसकी बागवानी उत्तर पूर्व दिशा वाले क्षेत्रों और ऊँचाई में दक्षिण पश्चिम दिशा के क्षेत्रों में की जानी चाहिए। ऊँचाई के क्षेत्रों में जहां हवा का ज्यादा प्रकोप हो वहां नाशपाती नहीं लगानी चाहिए क्योंकि वहां पर मधुमक्खियां अपना काम नहीं कर सकती है। बसन्त ऋतु में अधिक पाले कोहरे और ठण्ड से इसके फूल मर जाते है।
भूमि का चुनाव: नाशपाती के लिए गहरी भारी दोमट जिसमें नमी बनाए रखने की क्षमता हो उपयुकत है। भूमि में पानी के निकास का अच्छा प्रबन्ध होना आवश्यक है। रेतीली भूमि में नाशपाती को नहीं लगाना चाहिए। क्योंकि गर्मीयों में नमी की कमी हो जाती है और पौधे ठीक से नहीं पनप सकते। सेब की तुलना में नाशपाती के पौधों को पाानी लगनेसे कम चति होती है इसीलिए नाशपाती के पौधे निकनी व अधिक पानी वाली भूमि पर भी उगाए जा सकते है परन्तु जडों की अच्छी बढोतरी के लिए निचली सतह पर कंकर या पथरीली भूमि नहीं होनी चाहिए।
अनुमोदित किस्में: ऊँचे पर्वतीय क्षेत्र
1. अगेती किस्में: अर्ली चाईना, लेक्सटनस सुपर्व
2. मध्य मौसमी किस्में: वार्टलेट, रेड वार्टलेट, मैक्स रेड वार्टलेट, कलैप्स फेवरट, फलैमिस व्यूटी परागण कर्ता, स्टारक्रिमसन
3. पछेती किस्में: कान्फ्रेन्स (परागणकर्ता), डायने डयूकोमिस काश्मीरी नाशपाती।
मध्यवर्ती निचले क्षेत्र व घाटियां: पत्थर नाख, कीफर (परागणकर्ता) तथा चाईना नाशपाती
नाशपाती क्षेत्रों मे उगाया जाने वाला मुख्य फल है। नाशपाती गर्म आद्र्र उपोष्ण मैदानी क्षेत्रों से लेकर शुष्क शीतोष्ण क्षेत्रों में सफलता से उगाई जा सकती है। इसकी खेती पर प्राय: बागवान ध्यान हीं देते हैं इसी कारण इसकी खेती कुछ सिमित क्षेंत्रों में ही की जा रही है। इसका मुख्य कारण इसकी अच्छी किस्मों का न होना कम भण्डारण क्षमता तथा यातायात की अच्छी सुविधांए न होना था परन्तु अब रंगदार व अच्छी किस्में व यातायात की अच्दी सुविधाएं होने पर बागवान नाशपाती की बागवानी की तरफ ध्यान दे रहे हैं। नाशपाती की तरफ अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है क्योंकि इससे ब्बिा बंद फल संरक्षित पदार्थ भी बनाए जा सकते हैं और इसके रख रखाव की ज्यादा जरूरत नहीं होती है। निचले व कम ऊँचाई वाले क्षेत्रों में गोला नाशपाती उगाई जा रही हे जिसमें अधिक उत्पादन के साथ-साथ बोरीयों में भरकर दूर मण्डीयों मे भी भेजा जा ाकता है। जलवायु:- मध्य पहाड़ी क्षेंत्रों और पहाड़ी क्षेत्रों में समुद्रतल से 600 से 2700 मीटर तक नाशपाती उगाई जा सकती हैं। इसके लिए 500 से 1500 घण्टे शीत तापमान होना आवश्यक है। जिन स्थानों में अधिक वर्ष होती है वे स्थान नाशपात के लिए उपयुक्त नहीं होते। गर्मीयों में 27 से 330 सै. तक तापमान वाले स्थानों पर नाशपाती खूब होती है।निचले क्षेत्रों मेंइसकी बागवानी उत्तर पूर्व दिशा वाले क्षेत्रों और ऊँचाई में दक्षिण पश्चिम दिशा के क्षेत्रों में की जानी चाहिए। ऊँचाई के क्षेत्रों में जहां हवा का ज्यादा प्रकोप हो वहां नाशपाती नहीं लगानी चाहिए क्योंकि वहां पर मधुमक्खियां अपना काम नहीं कर सकती है। बसन्त ऋतु में अधिक पाले कोहरे और ठण्ड से इसके फूल मर जाते है।
भूमि का चुनाव: नाशपाती के लिए गहरी भारी दोमट जिसमें नमी बनाए रखने की क्षमता हो उपयुकत है। भूमि में पानी के निकास का अच्छा प्रबन्ध होना आवश्यक है। रेतीली भूमि में नाशपाती को नहीं लगाना चाहिए। क्योंकि गर्मीयों में नमी की कमी हो जाती है और पौधे ठीक से नहीं पनप सकते। सेब की तुलना में नाशपाती के पौधों को पाानी लगनेसे कम चति होती है इसीलिए नाशपाती के पौधे निकनी व अधिक पानी वाली भूमि पर भी उगाए जा सकते है परन्तु जडों की अच्छी बढोतरी के लिए निचली सतह पर कंकर या पथरीली भूमि नहीं होनी चाहिए।
अनुमोदित किस्में: ऊँचे पर्वतीय क्षेत्र
1. अगेती किस्में: अर्ली चाईना, लेक्सटनस सुपर्व
2. मध्य मौसमी किस्में: वार्टलेट, रेड वार्टलेट, मैक्स रेड वार्टलेट, कलैप्स फेवरट, फलैमिस व्यूटी परागण कर्ता, स्टारक्रिमसन
3. पछेती किस्में: कान्फ्रेन्स (परागणकर्ता), डायने डयूकोमिस काश्मीरी नाशपाती।
मध्यवर्ती निचले क्षेत्र व घाटियां: पत्थर नाख, कीफर (परागणकर्ता) तथा चाईना नाशपाती