दिसंबर से लेकर मार्च माह के भीतर ऑयल स्प्रे का समय जानिए कब की जाए कौन से ऑयल की स्प्रे




सेब के बागीचों में ऑयल स्प्रे का अपना अलग स्थान है। बागीचों में दिसंबर माह से लेकर मार्च माह के अंतराल में ऑयल स्प्रे की जाती है। किस समय कौन से ऑयल की स्प्रे की जाए, इसका ज्ञान होना जरूरी है। यहां हम विभिन्न प्रकार के ऑयल व उनके गुणों आदि पर चर्चा करेंगे। सबसे पहले जानते हैं ऑयल की किस्में।
डोरमेंट आयल: डोरमेंट ऑयल का प्रयोग पौधे की डोरमेंसी में ही करना चाहिए। पहले बागवान इस ऑयल को साबुन व डीजल के जरिए खुद तैयार करते थे, लेकिन अब यह बना-बनाया बाजार में मिल जाता है। संभव हो सके तो दिसंबर माह में इस ऑयल की स्प्रे बागीचों में करनी चाहिए। यह पौधों के लिए तीन काम करता है। इस ऑयल की परत प्लांट पर जम जाती है और सर्दी के शॉक से पौधे की रक्षा करता है। ऊंचाई वाले इलाकों में जहां बर्फ अधिक गिरती है, वहां अगर इस तेल की स्प्रे की गई हो तो पौधे की टहनियों पर बर्फ नहीं जमने पाती। इस कारण टहनियां बर्फ के भार से गिरने से बच जाती हैं। तीसरा और सबसे बड़ा लाभ यह है कि यदि डोरमेंट ऑयल की स्प्रे क्लोरोपाइरीफॉस के साथ मिलाकर की जाए तो यह बागीचे में सेंजोस स्केल की रोकथाम करता है।
अगर डोरमेंट ऑयल की स्प्रे फरवरी के बाद करते हैं तो इसकी मात्रा समय अवधि के अनुसार कम करनी होगी। इस ऑयल की स्प्रे का सही समय तब है, जब दिन का तापमान 12 से 16 डिग्री सेल्सियस के बीच हो। यदि दिसंबर में दिन का तापमान 12 डिग्री से कम हो तो स्प्रे करना लाभदायक नहीं है।
समर ऑयल: बागीचे में पौधों की बढ़ोतरी के लिए इस ऑयल का प्रयोग किया जाता है। चूंकि इस ऑयल की स्प्रे गर्मियों में की जाती है, लिहाजा इसे समर ऑयल कहा जाता है। मई माह में इस ऑयल की स्प्रे से माइट की समस्या खत्म होती है। इसके अलावा सेब के दानों में स्केल की भी रोकथाम होती है। समर ऑयल की रेशो दो लीटर प्रति ड्रम के हिसाब से करनी चाहिए।
नीम ऑयल: यह ऑयल कीटनाशक और फफूंदनाशक के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। नीम ऑयल कीटों, उनके अंडों, माइट के अंडे, वूलि एफिड आदि की रोकथाम में सहायक है। नीम ऑयल की स्प्रे और इसका पेस्ट भी उपयोग में लाया जा रहा है।
टीएसओ की स्प्रे के लिए उचित तापमान 10 से 14 डिग्री सेल्सियस माना गया है। इसके अलावा यह भी ध्यान रखा जाए कि टीएसओ की एप्लीकेशन दिन के समय 11 बजे से 2 बजे तक ही करनी चाहिए। क्योंकि इस अवधि में तापमान टीएसओ के लिए उपयुक्त होता है और पौधे पर टीएसओ की सही फिल्म बनती है।

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