फल तोडऩे के बाद तने और टहनियों पर लगे वूली एफिड को तरीके से कीटनाशक का प्रयोग कर समाप्त किया सकता है। अक्टूबर माह के अंत व नवंबर के बाद यह कीट तनों में प्रवेश कर जाता है। वूली एफिड पर नियंत्रण के लिए 200 लीटर पानी में 700 मिलीमीटर क्लोरोपाइरीफॉस कीटनाशक घोल डालें। फिर इसके बाद इस घोल में से 25-30 लीटर घोल पौधेे के तने के चारों तरफ घेरे में डालें। यदि बरसात के बाद इस घोल की ड्रेंचिंग की जाए तो यह वूली एफिड के साथ-साथ अन्य रोगों को भी नियंत्रित करता है।
हिमाचल में सिडलिंग की पौध सबसे ज्यादा वूली एफिड से प्रभावित हैं। क्या छोटे और क्या बड़े, सभी पौधे इसकी चपेट में है। एम-एम रूट स्टॉक के जरिए वूली एफिड से बचा जा सकता है। 106 और 111 रूट स्टॉक में वूली एफिड के से लडऩे की क्षमता अधिक होती है।
हिमाचल में सिडलिंग की पौध सबसे ज्यादा वूली एफिड से प्रभावित हैं। क्या छोटे और क्या बड़े, सभी पौधे इसकी चपेट में है। एम-एम रूट स्टॉक के जरिए वूली एफिड से बचा जा सकता है। 106 और 111 रूट स्टॉक में वूली एफिड के से लडऩे की क्षमता अधिक होती है।