ज्यादा टीएसओ का प्रयोग पौधों की छाल के लिए नुकसानदायक विदेश में टीएसओ बंद, केवल व्हाइट ऑयल की स्प्रे ही की जाती है प्रयोग कीटनाशक का काम भी करता है व्हाइट ऑयल




सेब उत्पादक इलाकों में दिसंबर से लेकर मार्च माह के अंतिम सप्ताह तक बागवान ट्री स्प्रे ऑयल (टीएसओ) का प्रयोग करते हैं। टीएसओ व
समर ऑयल के फर्क को समझना भी जरूरी है। द आर्चर्ड ब्लूम ने इस बारे में बागवानी अनुसंधान केंद्र मशोबरा में कीट विशेषज्ञ के तौर
पर कार्यरत डॉ. सुषमा भारद्वाज से विस्तार से बातचीत की। डॉ. सुषमा ने बताया कि विदेशों में पौधों पर स्प्रे के लिए व्हाइट ऑयल का प्रयोग किया जाता है। इसे एचएमओ (हार्टीकल्चर मिनरल ऑयल) कहा जाता है। हिमाचल में अभी भी टीएसओ का ही प्रयोग किया जा रहा है। बागवानों को इस बात की जानकारी भी होनी चाहिए कि स्प्रे की मात्रा कैसी हो। कई बागवान दिसंबर में टीएओ की मात्रा स्प्रे के लिए छह से आठ लीटर प्रयोग में लाते हैं। डॉ. भारद्वाज के अनुसार चार लीटर से अधिक टीएसओ की मात्रा का प्रयोग करने से पेड़ की छाल को नुकसान होता है। इससे प्लांट की लाइफ भी कम होती है। विदेश में टीएसओ का प्रयोग कई साल पहले से बंद है। वहां पर केवल व्हाइट ऑयल प्रयोग किया जाता है। टीएसओ बंद करने के पीछे कारण उसमें मौजूद एरोमैटिक कंपाउंड व नैप्थीन है। ये छाल को नुकसा पहुंचाते हैं। व्हाइट ऑयल में ये अशुद्धियां हटा दी गई हैं। व्हाइट ऑयलल की स्प्रे फल देने वाले पौधों के लिए बेहतर है। इसके अलावा ऑयल में कीटनाशक मिलाने की आवश्यकता भी नहीं है। व्हाइट ऑयल खुद कीटनाशक का काम भी करता है। माइट और स्केल से बचाव के लिए मई माह में 2 लीटर एच.एम.ओ. की स्प्रे कर
सकते हैं। इससे पौधों को माईट और स्केल नामक कीटों से हुए नुकसान से बचा सकते हैं।

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