मई-जून मल्टी प्लैक्स 500ml या ट्रेसल 500 ग्राम या अन्य अनुमोदित शुक्ष्म पोषक तत्व फोरमूलेशन का 200लीटर पानी में घोल बनाकर मई-जून के महीने में दिन के अन्तराल पर 20 छिडक़ाव करें। अगर किसी विशेष पोषक तत्व की कमी हो तो उसको नीचे दी गई जानकारी के अनुसार छिडक़ाव करें।
– जिंक (जस्ता) की कमी के लि एक किलोग्राम जिंक सल्फेट 200 लीटर पानी में घोल कर १15 दिन के अन्तराल पर दो छिडक़ाव मई-जून में करें।
– बोरोन की कमी को दूर करने के लिए 200 ग्राम बोरीक एसिड़ 200 लीटर पानी में घोल कर 15 दिन के अन्तराल पर दो छिडक़ाव जून में करें।
– मैग्नीज की कमी को दूर करने के लिए मैग्नीज सल्फेट 800 ग्राम २०० लीटर पानी में घोल कर 15 दिन के अन्तराल पर दो छिडक़ाव जून में करें।
जून-जुलाई -कापर (तांबा) की कमी को दूर करने के लिए कापर सल्फेट 600 ग्राम 2००लीटर पानी में घोल कर 15 दिन के अन्तराल पर दो छिडक़ाव जून-जुलाई में करें।
-कैल्शियम की कमी दूर करने के लिए एक किलोग्राम कैल्शियम क्लोराईड 2०० लीटर पानी में घोल कर तुड़ाई से 15 दिन और 30 दिन पहले दो छिडक़ाव करें। यह छिडक़ाव फल भण्डारण के लिए आवश्यक है।
नोट:
जिंक सल्फेट, कोपर सल्फेट और मैग्नीज सल्फेट के साथ आधी मात्रा में अनबुझा चूना अवश्य मिलांए नही तो पत्ते झूलस सकते है और फल पर भी व्याधियां आ सकती हैं।
जिंक सल्फेट, कोपर सल्फेट और मैग्नीज सल्फेट के साथ आधी मात्रा में अनबुझा चूना अवश्य मिलांए नही तो पत्ते झूलस सकते है और फल पर भी व्याधियां आ सकती हैं।
जुलाई, अगस्त,सितम्वर जिस वर्ष ज्यादा फसल लगी हो, तब 2 किलोग्राम यूरिया का छिडक़ाव 2०० लीटर पानी में घोल कर फल तोडऩे के बाद करें।
अक्तूबर-नवम्बर पत्ते गिरने से पहले 7-10 किलोग्राम यूरिया 2०० लीटर पानी में घोल कर एक बार छिडक़ाव करें।
पोषक तत्व प्रवनधन में मुख्य सुझाव व ध्यान देने योग्य बातें:
पोषक तत्व प्रवनधन में मुख्य सुझाव व ध्यान देने योग्य बातें:
१- सेब बागीचों के उन जगहों पर जहां पोषक तत्वों की अधिकता हो वहां सारणी में दी गई मात्रा का आध ही डालें।
२- जिस वर्ष फसल न लगी हो उस वर्ष सारणी में दी गई सफलित वर्ष की मात्रा ही डालें।
३- जहां लगातार सूखे की सम्भावना बनी रहती हो वहां पर सारी खादें एक ही समय में डाल दें
४-फास्फोरस खाद का प्रयोग दो वर्ष में एक बार ही करें।
५- छिडक़ाव सुबह व शाम को ही करें। तेज घूप या वर्षा की सम्भावना होने पर छिडक़ाव न करें।
६- पोषक तत्वों का जहां तक सम्भव हो सके अलग ही छिडक़ाव करें।
७- पौधों की सुप्तावस्था या फूल के समय कोई पोषक तत्व का छिडक़ाव न करें।
८- शुक्ष्म पोषक तत्वों का छिडक़ाव तभी करें जब आपको विशेषज्ञ ने इसकी सलाह दी हो।
९- चूने का पौधों पर छिडक़ाव न करें।
१.- अनुमोदित मात्रा से ज्यादा खाद डालने का बुरा असर होता है और जड़ों को नुक्सान हो सकता है।
११- छिडक़ाव पौधों में उपर से शुरू करें।
१२- खादें तने से उचित दूरी पर डालें और खाद डालन उनको मिलाना न भूलें।
२- जिस वर्ष फसल न लगी हो उस वर्ष सारणी में दी गई सफलित वर्ष की मात्रा ही डालें।
३- जहां लगातार सूखे की सम्भावना बनी रहती हो वहां पर सारी खादें एक ही समय में डाल दें
४-फास्फोरस खाद का प्रयोग दो वर्ष में एक बार ही करें।
५- छिडक़ाव सुबह व शाम को ही करें। तेज घूप या वर्षा की सम्भावना होने पर छिडक़ाव न करें।
६- पोषक तत्वों का जहां तक सम्भव हो सके अलग ही छिडक़ाव करें।
७- पौधों की सुप्तावस्था या फूल के समय कोई पोषक तत्व का छिडक़ाव न करें।
८- शुक्ष्म पोषक तत्वों का छिडक़ाव तभी करें जब आपको विशेषज्ञ ने इसकी सलाह दी हो।
९- चूने का पौधों पर छिडक़ाव न करें।
१.- अनुमोदित मात्रा से ज्यादा खाद डालने का बुरा असर होता है और जड़ों को नुक्सान हो सकता है।
११- छिडक़ाव पौधों में उपर से शुरू करें।
१२- खादें तने से उचित दूरी पर डालें और खाद डालन उनको मिलाना न भूलें।