ये हाल हैं हिमाचल की अफसरशाही के




वल्र्ड फूड इंडिया 2017. में दुनिया भर की हस्तियां जुटीं, लेकिन हिमाचल के अफसरों को नहीं मिली फुरसत, सूने रहे हिमाचल के स्टॉल
मित्रो, अफसरशाही की लापरवाही की बदौलत वल्र्ड फूड इंडिया फेस्टीवल में हिमाचल के प्रतिभागियों को निराशा व दुख झेलना पड़ा। समूची दुनिया सहित देश के कई राज्यों के नेता, मंत्री, अफसर इस फेस्टीवल में अपने राज्यों के प्रतिभागियों का हौसला बढ़ाने पहुंचे, लेकिन हिमाचल के अफसरों को फुरसत नहीं मिली। मैं यहां फेस्टीवल के कुछ अनुभव बताना चाहता हूं। साथ ही हिमाचल के बागवानी विभाग के अफसरों तथा नौकरशाही से सवाल भी करना चाहता हूं। मुझे दिल्ली में वर्ल्ड फूड इंडिया 2017 में जाने का मौका मिला। करीब तीन दिन तक चले इस कार्यक्रम में 60 देशों भाग लिया। भारत के सभी राज्यों ने अपने स्टाल वर्ल्ड फूड इंडिया में लगाए थे और फेस्टिवल में संबंधित राज्यों में पैदा की जाने वाली सभी उत्पादों की प्रदर्शनी लगाई गई । अंतरराष्ट्रीय आयोजन में जहां इटली, फ्रांस, स्पेन,हॉलैंड, इटली ,सऊदी अरब, दुबई, ब्राजील और कई देशों ने भाग लिया वहींं भारत के सभी राज्यों में भी भाग लेकर अपने यहां तैयार किए जाने वाले उत्पादों के बारे में जानकारी दी। प्रतिभागियों को अपने उत्पादों को बेचने के लिए देश और विश्व स्तर पर खरीदार मिले। लेकिन हिमाचल के स्टाल अफसरों की बाट जोहते रहे और कोई अफसर स्टॉल विजिट कर प्रतिभागियों का हौसला बढ़ाने नहीं आया। हिमाचल के स्टॉल पर ना तो कोई अधिकारी मौजूद रहा और ना ही किसी नेता ने अपनी मौजूदगी दर्ज करवाई, यहां मैं बताना चाहूंगा कि पंजाब के स्टॉल पर जहां बादल परिवार के मुखिया कई बार दौरा कर कर वहां के किसानों व अधिकारियों का उत्साह बढ़ा रहे थे, वहीं इस कार्यक्रम में हरियाणा के मुख्यमंत्री भी आए और उन्होंने भी अपने स्टॉल पर जाकर जानकारी प्राप्त की। ऐसा नहीं है कि और राज्यों के मंत्री व बड़े अधिकारी अपने राज्य के स्टाल पर मौजूद नहीं थे या उन्होंने विजिट नहीं किया तकरीबन सभी राज्य उच्च अधिकारी आते जाते रहे मगर हिमाचल का एक मात्र राज्य था, जहां पर बागवानी विभाग और एचपीएमसी और इंडस्ट्री डिपार्टमेंट के कुछ कर्मचारी व अधिकारी अपनी ड्यूटी दे रहे थे जबकि इस इंटरनेशनल आयोजन में हिमाचल प्रदेश से भी कई उच्च अधिकारी दिल्ली गए जरूर थे, मगर स्टॉल पर नहीं आए। हिमाचल के अफसरों की स्टॉल पर मौजूदगी ना के बराबर रही। उन्होंने अपने उत्पाद को प्रमोट करना तो दूर वहां पर आने की जहमत तक नहीं उठाई। अगर वह प्रदेश के लिए स्टॉल पर अपनी मौजूदगी दर्ज कराते तो वहां पर ड्यूटी दे रहे कर्मचारियों का उत्साह बढ़ता और साथ जो उत्पाद इस प्रदर्शनी में लगाए गए थे उस को प्रमोट करने में भी मदद मिलती। अधिकारियों का दल शिमला से दिल्ली तो जरुर निकला, लेकिन अपने स्टॉल का रुख करना भूल गया। आपको बताना चाहूंगा कि जब हम दिल्ली में विभिन्न स्टालो का दौरा कर रहे थे तब हमें अरुणाचल प्रदेश के स्टाल में जाने का मौका मिला। इस स्टाल पर सेब विभिन्न किस्में लगाई गई थी। मैं और मेरे साथ गए मित्र स्टॉल पर गए और वहां पर रखें सेबों के बारे में जानकारी प्राप्त करने लगे। वहां एक महिला इस बारे में विस्तार से जानकारी दे रही थी । उन्होंने अरुणाचल में पैदा किए जा रहे सेब की विभिन्न वैरायटी के बारे में जानकारी देना शुरू की। हम करीब आधा घंटा तक इस स्टॉल पर रहे । जब हम पूरी जानकारी लेकर महिलाओं से अपना विजिटिंग कार्ड देने को कहा ताकि भविष्य में हम अरुणाचल प्रदेश पर सेब उत्पादन को लेकर जानकारी प्राप्त कर सके। अब जब मेरे हाथ में उनका विजिटिंग कार्ड आया तो मैं उसे पढक़र अचंभित हो गया क्योंकि जिस महिला से हम पिछले 30 मिनट से बात कर रहे थे वह महिला कोई साधारण महिला नहीं बल्कि बागवानी विभाग अरुणाचल प्रदेश सरकार की चीफ सेक्रेटरी लेवल की अधिकारी थी । हमने देखा कि यह अधिकारी लगातार तीन दिनों तक अपने स्टॉल पर रह कर विजिट करने वाले हर नेशनल व इंटरनेशनल विजिटर्स को अरुणाचल प्रदेश में तैयार किए जा रहे प्रोडक्ट के बारे में बता रही थी। यह एक काबिले तारीफ काम था कि एक उच्च पद पर आसीन महिला विजिट कर रहे लोगों को उत्पादों से संबंधित सभी जानकारी विनम्रता से दे रही थी। अब आप ही बताइए कि जब अधिकारी इतना संजीदा हो तो उस राज्य में बागवानी कृषि का स्तर भविष्य कितना उच्च स्तर पर जाएगा। हिमाचल में भले ही ब्यूरोक्रेट्स हिमाचल की बागवानी कृषि को उच्च स्तर पर ले जाने के लिए हजारों करोड़ की कोई योजना बनाकर वहां के बागवानों और कृषि की हित की बात करते है , लेकिन जब अपने उत्पाद को इंटरनेशनल स्तर पर प्रोड्यूस करने की बात आए तो वह अधिकारी ऐसे कार्यक्रमों से नदारद रहे ऐसी योजनाएं किस काम की ..? इस तीन दिवसीय कार्यक्रम में 60 देशों के उच्च अधिकारी वह कई राज्यों के मंत्री समय निकाल कर अपने राज्य की कृषि उत्पादों को बढ़ाने में मदद करते दिखे वह हिमाचल का स्टॉल इकलौता रहा जहां पर ब्यूरोक्रेट्स और अधिकारियों ने आने की जहमत नहीं उठाई।……???
इस पर में हिमाचल सरकार से सवाल करना चाहूँगा..?????????????
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मेरे उच्च अधिकारियों से कुछ प्रश्न है जो दिल्ली वर्ल्ड फूड इंडिया में प्रदेश की तरफ से गए थे
पहला प्रश्न…. अगर वह इस फेस्टिवल में गए थे और उन्होंने वह बताएं कि कितने इंटरनेशनल कंपनियों के से उन्होंने बात की और इस फेस्टिवल में हिमाचल के उत्पादों को क्या फायदा होने वाला है ?
प्रश्न…. कि उन्होंने कितनी हिमाचली उत्पाद को इंटरनेशनल लेवल पर प्रमोट करने के लिए इस फेस्टिवल में कदम उठाए ?
प्रश्न….. ब्यूरोक्रेट्स यह है कि से बागवानी के लिए एक हजार करोड़ रुपए का प्रोजेक्ट बनाने का दावा करते हैं और कहते हैं कि इस प्रोजेक्ट के आने से बागवानी की तस्वीर बदलेगी लेकिन वह यह बताएं ऐसे बागवानी की तस्वीर बदली, लेकिन भैया बताएं कि 5 साल बाद तस्वीर तो बदल जाएगी, लेकिन प्रोडक्ट बेचोगे किस मार्केट में? ………
..मैं इनको बातना चाहूंगा योजना बनती है इनको ऐसे इंटरनेशनल कार्यक्रम में कई कार्यक्रमों में जाकर इंप्लीमेंट किया जा सकता है और प्रदेश की बागवानी कृषि को सही रूप में नेशनल और इंटरनेशनल स्तर पर ले जाने के रास्ते खोले जा सकते हैं।

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