ऊंचाई वाले इलाके में सफल की स्पर किस्में
उन्होंने अपने बागीचे के 126 रॉयल के 35 साल के पौधों को री-ग्राफ्ट
उन्होंने अपने बागीचे के 126 रॉयल के 35 साल के पौधों को री-ग्राफ्ट
अभी तक यही माना जा रहा था कि ऊंचाई वाले इलाकों में सेब की स्पर प्रजाति का उत्पादन नहीं हो सकता, लेकिन मन में जिद लिए युवा बागवान पंकज डोगरा हाईट में भी स्पर की उम्मीद को परवान चढ़ाने में जुटा है। चौपाल के मड़ावग क्षेत्र में दशोली गांव इन दिनों सभी बागवानों के लिए कौतुहल का विषय बना हुआ है। कारण यह कि आठ हजार फीट से अधिक की ऊंचाई पर बसे इस गांव में एक नौजवान ने कुछ अलग ही करने की ठान रखी है। पंकज डोगरा ने अपने बागीचे में स्पर प्रजाति के पौधे कामयाब करने की जिद पाली है। इसके लिए उन्होंने अपने बागीचे के 126 रॉयल के 30 साल के पौधों को री-ग्राफ्ट किया है। विगत दो साल से स्पर पर यह प्रयोग जारी है। सुखद यह कि पंकज डोगरा को अपने प्रयासों में शुरूआती कामयाबी मिलती दिखाई दे रही है। इससे उनके उत्साह में भी बढ़ोतरी हुई है। यदि पंकज डोगरा का यह प्रयोग सफल हो गया तो ऊंचाई वाले इलाके के बागवानों की तकदीर ही पलट जाएगी। फिर ऊंचाई वाले बागीचों में भी स्पर प्रजाति के सेब के पौधो फलते-फूलते नजर आएंगे। अभी तक ताबो और किन्नौर में सरकारी स्तर पर स्पर पर ट्राएल चला हुआ है। निजी तौर पर किसी बागवान ने आठ हजार फीट की ऊंचाई पर स्पर लगाने की कोशिश नहीं की है। ऐसी हिम्मत व जोखिम उठाने वाले पंकज डोगरा पहले बागवान हैं।
दो साल पहले पंकज ने विचार बनाया कि क्यों न हाईट पर भी स्पर उगाने का प्रयास किया जाए। सबसे पहले उन्होंने स्पर प्रजाति के पौधों की जानकारी ली। इसके लिए उन्होंने लोअर हाइट के कई बागीचों का दौरा किया। फिर ऊंचाई वाले इलाकों में स्पर की संभावनाओं पर गहन मंथन किया। पंकज का मानना है कि हाईट वाले बागीचों में यदि स्पर कामयाब होता है तो फ्रूट की क्वालिटी भी शानदार होगी। वे केवल स्पर प्रजाति के सेब पर ही नहीं रुके, बल्कि ऊंचाई वाले क्षेत्रों में नाशपाती की कौन सी किस्म कामयाब हो सकती है, इस पर भी काम कर रहे हैं। दो साल से वे अपने बागीचों में सेब की आयातित सात वैरायटियों पर ट्राएल कर रहे हैं। पंकज डोगरा अपने बागीचे में स्पर की स्कारलेट स्पर-टू, सुपर चीफ, आर्गेन स्पर-टू, शैलेट, वाशिंगटन रेड डिलिशियए, ऐस, रेड विलॉक्स, जेरोमाइन, गेल गाला, स्कारलेट गाला, ब्रुकफील्ड गाला, ग्रेनी स्मिथ, पिंक लेडी, मेशल गाला और बुकई गाला किस्मों पर काम कर रहे हैं। इसके अलावा नाशपाती की कान्फ्रेंस, कॉनकॉड, पैखम थ्रंपस, ब्यूरीबॉसिक, टेलर गोल्ड, अपाते फेटल और कॉरमैन आदि किस्मों को आजमा रहे हैं। पंकज डोगरा के अनुसार दो साल में उन्होंने पाया कि सुपर चीफ किस्म में पौधे में ग्रोथ कम है। स्कारलेट स्पर-टू, वाशिंगटन रेड डिलिशियस और ऐस जैसी किस्मों की ग्रोथ काफी उत्साहवर्धक है। ग्रोथ के लिहाज से गाला स्ट्रेंको पथरीली भूमि पर तो बहुत अच्छा रिस्पांस दे रहा है, लेकिन उपजाऊ मिट्टी में इसकी ग्रोथ कम है। नाशपाती की पैखम किस्म की ग्रोथ रेट अधिक है और उसकी फसल भी दो साल में आ गई। पारंपरिक नाशपाती की किस्मों की फसल आठ साल में आती है, लेकिन समय को लेकर पैखम इसका अपवाद है। इसकी फसल बहुत कम समय में ही आ गई। पैखम में बाकी सब ठीक है, लेकिन फल झडऩे की प्रवृति अधिक है। पंकज डोगरा के अनुसार इससे बचने के लिए पैखम में वॉटलेट व ब्यूरीबोसिक किस्म की नाशपाती का पोलीनाइजर लगाना जरूरी है। अपने अनुभव के आधार पर पवन ने पाया है कि दस साल से अधिक की आयु के सेब के पौधों में अगर टंग ग्राफ्टिंग की जाए तो उन पौधों की टहनियों पर बाद में पेपड़ीवार की समस्या आती है। इससे बचाव के लिए बागवानों को दिसंबर में बोड़ो मिक्सचर की स्प्रे करना जरूरी है। बोडो मिक्सचर पेपड़ीवार को रोकने में सबसे अधिक कारगर है। यदि फिर भी समस्या जारी रहती है तो रोगग्रस्त टहनी पर चौपटिया पेस्ट लगाया जाना चाहिए।
बे-शक पंकज डोगरा को हाईट में स्पर उगाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन उन्होंने हिम्मत बरकरार रखी हुई है। आखिरकार सफलता की राह कोई आसान थोड़े ही होती है। नई पीढ़ी के यही प्रयोग तो हिमाचल को बागवानी के क्षेत्र में हाईट पर ले जाएंगे।
दो साल पहले पंकज ने विचार बनाया कि क्यों न हाईट पर भी स्पर उगाने का प्रयास किया जाए। सबसे पहले उन्होंने स्पर प्रजाति के पौधों की जानकारी ली। इसके लिए उन्होंने लोअर हाइट के कई बागीचों का दौरा किया। फिर ऊंचाई वाले इलाकों में स्पर की संभावनाओं पर गहन मंथन किया। पंकज का मानना है कि हाईट वाले बागीचों में यदि स्पर कामयाब होता है तो फ्रूट की क्वालिटी भी शानदार होगी। वे केवल स्पर प्रजाति के सेब पर ही नहीं रुके, बल्कि ऊंचाई वाले क्षेत्रों में नाशपाती की कौन सी किस्म कामयाब हो सकती है, इस पर भी काम कर रहे हैं। दो साल से वे अपने बागीचों में सेब की आयातित सात वैरायटियों पर ट्राएल कर रहे हैं। पंकज डोगरा अपने बागीचे में स्पर की स्कारलेट स्पर-टू, सुपर चीफ, आर्गेन स्पर-टू, शैलेट, वाशिंगटन रेड डिलिशियए, ऐस, रेड विलॉक्स, जेरोमाइन, गेल गाला, स्कारलेट गाला, ब्रुकफील्ड गाला, ग्रेनी स्मिथ, पिंक लेडी, मेशल गाला और बुकई गाला किस्मों पर काम कर रहे हैं। इसके अलावा नाशपाती की कान्फ्रेंस, कॉनकॉड, पैखम थ्रंपस, ब्यूरीबॉसिक, टेलर गोल्ड, अपाते फेटल और कॉरमैन आदि किस्मों को आजमा रहे हैं। पंकज डोगरा के अनुसार दो साल में उन्होंने पाया कि सुपर चीफ किस्म में पौधे में ग्रोथ कम है। स्कारलेट स्पर-टू, वाशिंगटन रेड डिलिशियस और ऐस जैसी किस्मों की ग्रोथ काफी उत्साहवर्धक है। ग्रोथ के लिहाज से गाला स्ट्रेंको पथरीली भूमि पर तो बहुत अच्छा रिस्पांस दे रहा है, लेकिन उपजाऊ मिट्टी में इसकी ग्रोथ कम है। नाशपाती की पैखम किस्म की ग्रोथ रेट अधिक है और उसकी फसल भी दो साल में आ गई। पारंपरिक नाशपाती की किस्मों की फसल आठ साल में आती है, लेकिन समय को लेकर पैखम इसका अपवाद है। इसकी फसल बहुत कम समय में ही आ गई। पैखम में बाकी सब ठीक है, लेकिन फल झडऩे की प्रवृति अधिक है। पंकज डोगरा के अनुसार इससे बचने के लिए पैखम में वॉटलेट व ब्यूरीबोसिक किस्म की नाशपाती का पोलीनाइजर लगाना जरूरी है। अपने अनुभव के आधार पर पवन ने पाया है कि दस साल से अधिक की आयु के सेब के पौधों में अगर टंग ग्राफ्टिंग की जाए तो उन पौधों की टहनियों पर बाद में पेपड़ीवार की समस्या आती है। इससे बचाव के लिए बागवानों को दिसंबर में बोड़ो मिक्सचर की स्प्रे करना जरूरी है। बोडो मिक्सचर पेपड़ीवार को रोकने में सबसे अधिक कारगर है। यदि फिर भी समस्या जारी रहती है तो रोगग्रस्त टहनी पर चौपटिया पेस्ट लगाया जाना चाहिए।
बे-शक पंकज डोगरा को हाईट में स्पर उगाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन उन्होंने हिम्मत बरकरार रखी हुई है। आखिरकार सफलता की राह कोई आसान थोड़े ही होती है। नई पीढ़ी के यही प्रयोग तो हिमाचल को बागवानी के क्षेत्र में हाईट पर ले जाएंगे।
नाम: पंकज डोगरा
उम्र: 34
गांव: दशोली मड़ावग (चौपाल)
पिछली साल 8500 हाईट दशोली गांव के पंकज डोगरा बागीचे का स्कारलेट स्पर -2 ढली मंडी मे 4000 रुपये पेटी बिकी था।पंकज डोगरा के बागीचो के विभिन्न वेराइटी के कुछ फोटोज वेव पर डाल रहे हैं ।
उम्र: 34
गांव: दशोली मड़ावग (चौपाल)
पिछली साल 8500 हाईट दशोली गांव के पंकज डोगरा बागीचे का स्कारलेट स्पर -2 ढली मंडी मे 4000 रुपये पेटी बिकी था।पंकज डोगरा के बागीचो के विभिन्न वेराइटी के कुछ फोटोज वेव पर डाल रहे हैं ।