रॉयल के पुराने पेड़ फिर से पहले जैसी शानदार प्रोडक्शन नहीं दे सकते। बागीचे में पुराने रॉयल के पेड़ छांटे और उन पर स्पर किस्मों की ग्राफ्टिंग शुरू की। फिर इन्हें रॉयल के पेड़ों पर टॉप व स्किन ग्राफ्ट किया। टॉप ग्राफ्टिंग के बजाय रॉयल पर स्किन ग्राफ्टिंग अधिक मुफीद है। दो साल के इस अभियान में संजीव नेगी को कई अनुभव हुए। कैंकर से बचाव के लिए उन्होंने कलम का कागज खोलने के बाद अलसी के तेल के साथ कॉपर आक्सोक्लोराइड का पेस्ट लगाया। संजीव के अनुसार कलम किए गए पौधौं पर साल में दो बार कॉपर आक्सोक्लोराइड की स्प्रे की जानी चाहिए। पहली स्प्रे अगस्त माह में और दूसरी स्प्रे फरवरी के दूसरे सप्ताह में करने से कैंकर की समस्या काफी हद तक रुक जाती है। चूंकि रॉयल के चालीस साल से अधिक आयु के पेड़ों में ग्राफ्टिंग के लिए उपयुक्त टहनियां नहीं मिलता, इसलिए इन पर स्किन ग्राफ्टिंग की जानी चाहिए। इसी के जरिए स्पर की किस्मों की सफल ग्राफ्टिंग हो सकती है। स्किन ग्राफ्टिंग में सन बर्न का खतरा रहता है। इससे बचाव के लिए पेस्ट अथवा हार्ड पेंट का प्रयोग किया जाना चाहिए। जिन पौधों की टहनियां पतली व अच्छी हों, वहां टंग ग्राफ्टिंग कामयाब है और उसमें कैंकर का खतरा भी न के बराबर रहता है।
Author: Unknown
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