चूना डालने से पहले मिट्टी की जांच जरूरी

बागवान भाइयों ने मालूम किया कि मिट्टी की पीएच वैल्यू की क्या अहमियत है और क्यों चूना डालने से पहले मिट्टी की जांच जरूरी है। बागवान भाइयों को मिट्टी की पीएच वैल्यू की जांच के बिना चूना नहीं डालना चाहिए। इसे पहाड़ी कहावत के जरिए समझा गया था। यहां हम मिट्टी की जांच की कुछ प्रयोगशालाओं की जानकारी दे रहे हैं।
मिट्टी की जांच अब बागवानी विभाग के अनुसंधान केंद्र मशोबरा में भी हो रही है। यहां बहुत कम पैसे में मिट्टी की जांच करवाई जा सकती है। इसके अलावा नौणी यूनिवर्सिटी और शिमला के चौड़ा मैदान में भी यह जांच होती है। एक बार मिट्टी की जांच करवाने और रिपोर्ट को क्रॉस चैक करना चाहिए। अब मिट्टी की जांच के लिए पीएच मीटर भी मिलते हैं।
मिट्टी की पीएच अधिक होने पर उसका उपचार कैसे किया जाए, यह भी अहम सवाल है? यदि पीएच आदर्श से गिर जाए तो उसका उपचार डोलामाइट से किया जाता है। डोलामाइट चूना प्योर होता है और उसमें कैल्शियम की मात्रा अधिक होती है। डोलमाइट चूना पाउडर फॉर्म में होता है और एग्रीकल्चर यूज के लिए इसे ही प्रयोग किया जाता है। डली वाला चूना न डालें। इसमें चूना कम व मार्बल की राख अधिक होती है। चूने की सही पहचान के लिए एक प्रयोग किया जा सकता है। डोलामाइट चूना पूरी तरह से पानी में घुल जाता है। दूसरा चूना यदि पानी में डाला जाए तो पत्थर व मार्बल की राख नीचे बैठ जाती है।
यहां एक बात और दर्ज की जा सकती है। वो यह कि मिट्टी की जांच के बिना यदि रसायन भी डाले जाते हैं तो भी असंतुलन पैदा होता है। इसका सीधा सा असर प्रोडक्शन पर होता है। हिमाचल में प्रोडक्शन गिरने के कई कारणों में से एक कारण यह भी है।

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