नाशपाती:-रूट स्टॉक के जरिए नाशपाती की विदेशी किस्मों

हिमाचल प्रदेश में सेब के बाद पैदावार के लिहाज से नाशपाती का नंबर है। कुल्लू जिला में इसका उत्पादन अधिक होता है। जैसे-जैसे मार्केट में नाशपाती की डिमांड बढ़ी है, बागवान इसकी पैदावार की तरफ झुके हैं। प्रदेश में नाशपाती की उन्हीं किस्मों को उगाना फायदेमंद है, जिसकी शैल्फ लाइफ अच्छी हो। चूंकि नाशपाती से डिब्बाबंद पदार्थ भी तैयार किए जा सकते हैं, इसलिए इसकी पैदावार में बागवानों को भी लाभ है। जागरुकता बढऩे के साथ ही बागवान सेब के बागीचों में खाली जगह पर नाशपाती की सघन बागवानी कर रहे हैं। बहुत से प्रगतिशील बागवानों ने रूट स्टॉक के जरिए नाशपाती की विदेशी किस्मों को उगाया है। एक अन्य कारण है, जिसके चलते बागवान नाशापाती उगा रहे हैं। अब प्रदेश में ही सीए स्टोर की सुविधा उपलब्ध है। इस तरह ऑफ सीजन में भी बागवान इसकी पैदावार कर लाभ कमा रहे हैं। ऊंचाई वाले इलाकों में नाशापाती की अगेती किस्मों में अर्ली चाइना, लेक्सट्नस सुपर्ब आदि वैरायटियां उगाई जाती हैं। मध्य मौसमी किस्मों में वार्टलेट, रेड वार्टलेट, मैक्स रेड वार्टलेट, क्लैपस फेवरेट आदि शामिल हैं।
पछेती किस्मों में डायने ड्यूकोमिस व कश्मीरी नाशपाती आती है। इसी तरह मध्यवर्ती निचले इलाकों में पत्थर नाख, कीफर (परागणकर्ता) व चाइना नाशपाती है। अर्ली चाइना नाशपाती सबसे पहले पकने वाली किस्म है। यह जून महीने में पककर तैयार हो जाती है। लेक्सट्नस सुपर्ब नाशपाती अधिक पैदावार देने वाली किस्म है। वार्टलेट किस्म सबसे लोकप्रिय है। रेड वार्टलेट व्यवसायिक किस्म है। फ्लैमिश ब्यूटी किस्म सितंबर में पक कर तैयार होती है। स्टार क्रिमसन मध्यम पर्वतीय इलाकों के लिए अनुकूल है। काशमीरी नाशपाती नियमित रूप से अधिक फल देने वाली किस्म है। पैखम थ्रंपस की शैल लाइफ सबसे अधिक है और इसकी पैदावार कलम लगने के दूसरे साल ही आनी शुरू हो जाती है। इसके साथ ही कांफ्रेंस कानकार्ड और इटली की किस्म अपाटे फैटल की शैल्फ लाइफ अच्छी है और यह लेट वैरायटी है। इटली की किस्म कारमेन वैरायटी अर्ली वैरायटी में शामिल है, जो वार्टलेट से भी पहले मार्केट में आती है।
नाशपाती के रूट स्टॉक कैंथ व क्वींस पर लगाए जाते हैं। कैंथ पर पौधे की ग्रोथ अच्छी होती है और फल लेट आते हैं। क्वींस पर तैयार किया गया पौधा आकार में छोटा होता है और जल्दी पैदावार देता है। इस समय विश्व में नाशपाती की पैदावार रूट स्टॉक पर हो रही है। सिडलिंग पर इसे तैयार करना महंगा है। जिस भूमि की उपजाऊ शक्ति अच्छी हो, उसमें लगाए पौधों की बढ़ोतरी अधिक होती है। ऐसी जगह नाइट्रोजन युक्त खाद का प्रयोग कम करना चाहिए। नहीं तो पेड़ों में फूल की कलियां नहीं बनेगी। ऐसे पेड़ों में पोटाश व फास्फेट खाद की मात्रा बढ़ा देनी चाहिए। ये दोनों खादें फल की कलियों को बढ़ाने में सहायक होती है। नाशपाती में सेब की तरह ही खादें डाली जाती हैं।
परागण की समस्या और समाधान: नाशपाती की अधिकतर किस्में यदि अकेले लगाई जाएं तो फल कम लगते हैं। ऐसे में दोनाशपाती के रूट स्टॉक कैंथ व क्वींस पर लगाए जाते हैं। कैंथ पर पौधे की ग्रोथ अच्छी होती है और फल लेट आते हैं। क्वींस पर तैयार किया गया पौधा आकार में छोटा होता है और जल्दी पैदावार देता है। इस समय विश्व में नाशपाती की पैदावार रूट स्टॉक पर हो रही है। सिडलिंग पर इसे तैयार करना महंगा है। जिस भूमि की उपजाऊ शक्ति अच्छी हो, उसमें लगाए पौधों की बढ़ोतरी अधिक होती है। ऐसी जगह नाइट्रोजन युक्त खाद का प्रयोग कम करना चाहिए। नहीं तो पेड़ों में फूल की कलियां नहीं बनेगी। ऐसे पेड़ों में पोटाश व फास्फेट खाद की मात्रा बढ़ा देनी चाहिए। ये दोनों खादें फल की कलियों को बढ़ाने में सहायक होती है। नाशपाती में सेब की तरह ही खादें डाली जाती हैं।
यदि नया बगीचा लगाना हो तो परागणकर्ता किस्में लगाना जरूरी हैं। नाशपाती की मुख्य किस्में वार्टलेट कांफ्रेंस पैखम, बूरीबॉक्स, स्टार क्रिमसन आदि हैं। वार्टलेट के साथ बूरीबाक्स, विंटरनेलिस, पैखम व कांफ्र्रेंस को पोलीनाइजर के रूप में लगाना चाहिए। इसी तरह कांफ्रेंस के साथ वार्टलेट व बूरीबॉक्स, पैखम के साथ वार्टलेट, बूरीबाक्स फिर बूरीबाक्स के साथ वार्टलेट, विंटरनेलिस व कांफ्रेंस और स्टार क्रिमसन के साथ बूरीबाक्स, कांफ्रेंस, वार्टलेट व विंटरनेलिस को पोलीनाइजर के तौर पर लगाना चाहिए।

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