नाशपाती की अधिकतर किस्में यदि अकेले लगाई जाएं तो फल कम लगते हैं। ऐसे में दोनाशपाती के रूट स्टॉक कैंथ व क्वींस पर लगाए जाते हैं। कैंथ पर पौधे की ग्रोथ अच्छी होती है और फल लेट आते हैं। क्वींस पर तैयार किया गया पौधा आकार में छोटा होता है और जल्दी पैदावार देता है। इस समय विश्व में नाशपाती की पैदावार रूट स्टॉक पर हो रही है। सिडलिंग पर इसे तैयार करना महंगा है। जिस भूमि की उपजाऊ शक्ति अच्छी हो, उसमें लगाए पौधों की बढ़ोतरी अधिक होती है। ऐसी जगह नाइट्रोजन युक्त खाद का प्रयोग कम करना चाहिए। नहीं तो पेड़ों में फूल की कलियां नहीं बनेगी। ऐसे पेड़ों में पोटाश व फास्फेट खाद की मात्रा बढ़ा देनी चाहिए। ये दोनों खादें फल की कलियों को बढ़ाने में सहायक होती है। नाशपाती में सेब की तरह ही खादें डाली जाती हैं। यदि नया बगीचा लगाना हो तो परागणकर्ता किस्में लगाना जरूरी हैं। नाशपाती की मुख्य किस्में वार्टलेट कांफ्रेंस पैखम, बूरीबॉक्स, स्टार क्रिमसन आदि हैं।
वार्टलेट के पोलीनाइजर के रूप में लगाना चाहिए
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साथ बूरीबाक्स, विंटरनेलिस, पैखम व कांफ्र्रेंस को पोलीनाइजर के रूप में लगाना चाहिए। इसी तरह कांफ्रेंस के साथ वार्टलेट व बूरीबॉक्स, पैखम के साथ वार्टलेट, बूरीबाक्स फिर बूरीबाक्स के साथ वार्टलेट, विंटरनेलिस व कांफ्रेंस और स्टार क्रिमसन के साथ बूरीबाक्स, कांफ्रेंस, वार्टलेट व विंटरनेलिस को पोलीनाइजर के तौर पर लगाना चाहिए।